विमान में अब पारंपरिक ईंधन की जरूरत नहीं होगी। क्योंकि रोल्स-रॉयस ने हाइड्रोजन से चलने वाला इंजन विकसित करने में सफलता हासिल की है। यह पूरी दुनिया में हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाला पहला विमान इंजन है। स्कॉटलैंड के बॉस्कोम्बे डाउन के ओर्कने द्वीप पर सरकारी टेस्ट फैसिलिटी में इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।

इसके बाद, अब तक हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा सकता है, और एविएशन इंडस्ट्री गैस फ्यूल में परिवर्तित हो सकती है। इसका मुख्य लाभ यह होगा कि यह पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन की मात्रा को कम करने में मदद करेगा। विमानन कंपनियां हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग कर कार्बन उत्सर्जन में कटौती करेंगी।
रोल्स-रॉयस ने किस प्रकार किया यह प्रयोग
इसके लिए रोल्स-रॉयस ने एई 2100-ए टर्बोप्रॉप इंजन का इस्तेमाल किया। जिसे उन्होंने हाइड्रोजन ईंधन के अनुरूप संशोधित किया। आमतौर पर, वाणिज्यिक और सैन्य दोनों जेट इस इंजन का उपयोग करते हैं। एई 2100 विमान के इंजन को शक्ति प्रदान करने के लिए पवन और ज्वारीय शक्ति से निर्मित एक गैस – ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करने में कंपनी सफल रही है। सोमवार को, ब्रिटिश कंपनी ने अपनी उपलब्धि की घोषणा करते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। अपने प्रोजेक्ट पार्टनर ईजी जेट की मदद से कंपनी ने यह उपलब्धि हासिल की है। दोनों कंपनियों का लक्ष्य यह प्रदर्शित करना है कि नागरिक उड़ान के लिए हाइड्रोजन एक सुरक्षित ईंधन हो सकता है।
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र वर्ष 2050 तक सभी प्रकार के कार्बन उत्सर्जन को समाप्त करना चाहता है। इन दोनों कंपनियों ने “द रेस टू जीरो” के तहत इस इंजन का निर्माण किया। ताकि हाइड्रोजन को पेट्रोलियम आधारित ईंधन के स्थान पर ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

हाइड्रोजन इंजन का उपयोग करने में क्या है परेशानी
कार्बन मुक्त उड़ान सेवाएं प्रदान करना आसान नहीं है। क्योंकि हाइड्रोजन या बिजली से चलने वाले विमानों को आने में समय लगेगा। अधिक दूरियों की यात्रा करने के लिए इन्हें उचित हरित ईंधन, प्रौद्योगिकी और इसे संचालित करने के लिए एक ताकतवर इंजन की आवश्यकता होती है। विमान निर्माता कंपनियों ने 2021 में यूरोपीय संघ को सूचित किया था कि 2050 तक पारंपरिक ईंधन इंजनों को पूरी तरह से ख़त्म करना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि अधिकांश एयरलाइंस उनका उपयोग करना जारी रखेंगी। इसके अलावा, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि विमानन क्षेत्र हाइड्रोजन ईंधन पर स्विच करता है तो हवाईअड्डे के बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से फिर से तैयार करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा एयरफ्रेम को भी नए सिरे से डिजाइन करने की जरूरत होगी।
एयरबस कंपनी के सुपरजंबो A380 के लिए हाइड्रोजन-संचालित जेट इंजन के भविष्य के परीक्षणों की भी योजना है। कंपनी के लक्ष्य के मुताबिक उसके विमानों से होने वाला सारा कार्बन उत्सर्जन 2035 तक खत्म हो जाएगा।
दूसरी तरफ, एक टूलाउस स्थित संगठन जो सीएफएम इंटरनेशनल के साथ सहयोग करता है। हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले इस इंजन को बनाने के लिए उन्होंने अमेरिकन जनरल इलेक्ट्रिक और फ्रेंच सफ्रान के साथ साझेदारी की है।