रियल एस्टेट की दुनिया में आए दिन नए-नए खेल सामने आ रहे हैं. सुपरटेक के अवैध रूप से बने ट्विन टावर के ढ़हने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि यूनिटेक कंपनी के बोर्ड के 50 फीसदी डायरेक्टर्स ने अपना इस्तीफा दे दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक यूनिटेक से घर खरीदने वाले 10,000 से ज्यादा खरीददारों को अपने फ्लैट्स की डिलीवरी नहीं मिल पा रही है. इनमें से ज्यादातर तो ऐसे हैं जिन्होंने करीब 10 साल पहले अपने फ्लैट्स की बुकिंग कराई थी.

यूनिटेक के बोर्ड में फिलहाल पूर्व परिवहन सचिव आईएस मलिक CMD का कामकाज संभाल रहे हैं. साथ ही एंबेसी ग्रुप के चैयरमेन जीतू विरवानी CPWD के पूर्व निदेशक प्रभाकर सिंह और और ऑडिटर गिरीश अहूजा भी शामिल हैं.
हीरानंदानी समूह के फाउंडर और एमडी निरंजन हीरानंदानी और NBCC के पूर्व चेयरमैन और एमडी A.K. मित्तल ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है. कुछ महीने पहले ही HDFC ज्वाइन करने वाली और एचडीएफसी बैंक की मौजूदा एमडी रेणु सूद कर्नाड और SBI के पूर्व एमडी B. श्रीराम ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है.
यूनिटेक बोर्ड से इस्तीफा देने वाले 2 डायरेक्टर्स ने बातचीत में यह स्वीकार किया कि उन्होंने यूनिटेक बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है. डायरेक्टर्स का कहना है कि कंपनी के भीतर ठीक से काम नहीं चल रहा है और टाइम पर फ्लैट्स की डिलीवरी नहीं दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बावजूद यूनिटेक के प्रोजेक्ट के कामकाज में तेजी देखने को नहीं मिल रही है जबकि इनमें से सबसे बड़ी रियल स्टेट कंपनी आम्रपाली अपने अधूरे प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा कर रही है.
यूनिटेक कंपनी के मैनेजमेंट बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कंपनी घर खरीदने वाले अपने सभी ग्राहकों को इस बात की जानकारी दे कि उनके प्रोजेक्ट कब तक पूरे होंगे. इसके साथ ही कंपनी को आदेश दिया गया था कि कंपनी प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड को 48 घंटों के भीतर Revised Payment Plan को अपलोड करने के लिए भी कहा था. न्यायमूर्ति D.Y. चंद्रचूड़ न्यायमूर्ति M.R. शाह की पीठ ने कहा था कि घर खरीददारों या बिना बिके फ्लैटों से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल सिर्फ निर्माण कार्य के लिए किया जाए. इस पैसे का इस्तेमाल किसी भी अन्य काम के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
ED ने हाल ही में यूनिटेक कंपनी के पूर्व Promoters संजय चंद्रा और अजय चंद्रा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया था. ईडी ने पिछले साल नवंबर में चौकाने वाला दावा किया था कि यूनिटेक के Promoters ने एक सीक्रेट अंडरग्राउंड ऑफिस बना रखा था जिसका पता ED को लग चुका है. ED का कहना था कि अंडरग्राउंड ऑफिस यूनिटेक के संस्थापक रमेश चंद्रा द्वारा संचालित किया जा रहा था. इस दफ्तर में रमेश चंद्रा के दोनों बेटे भी गए थे जब यह दोनों पैरोल पर जेल से बाहर थे.
आपको बता दें कि रमेश चंद्रा पर घर खरीददारों के पैसों की हेराफेरी करने का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट ने खरीदारों को न्याय दिलाने और कंपनी के भीतर गड़बड़ी को देखते हुए कई स्वतंत्र निदेशकों को नियुक्त किया था. इसके लिए अक्टूबर 2020 में फ्रेमवर्क तैयार किया गया था.