फेफड़े का कैंसर आम तौर पर घातक होता है क्योंकि इसका जल्दी पता लगाना चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन अब फेफड़े के कैंसर के मरीज एक रोबोटिक सर्जरी से अपनी जान बचा सकते हैं। चिकित्सकों के अनुसार, रोबोटिक तकनीक फेफड़ों के कैंसर का जल्द पता लगा सकती है और साथ ही इसका इलाज भी कर सकती है।

इस तकनीक की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि जब रोगी सामान्य स्तर (First Stage) पर होते हैं, तो डॉक्टर एक साथ किसी भी प्रकार फेफड़े के कैंसर का इलाज कर सकते हैं, जिसका पता लगाया जा सकता है। Small Tubes और इमेजिंग के उपयोग के माध्यम से, नई “रोबोटिक ब्रोंकोस्कोपी” (robotic bronchoscopy) तकनीक चिकित्सकों को फेफड़े के कठिन-से-कठिन पहुंच वाले क्षेत्रों तक पहुंचने में सक्षम बनाती है। चिकित्सकों के अनुसार, जिन व्यक्तियों को फेफड़े के कैंसर होने का उच्च जोखिम है, वे विशेष रूप से इस रोबोटिक तकनीक से लाभान्वित हो सकते हैं।
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फेफड़ों के कैंसर के मुख्य कारण (Main causes of lung cancer)
- लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार जो युवा धूम्रपान नहीं करते हैं उनमें भी फेफड़ों का कैंसर विकसित हो रहा है।
- वायु प्रदूषण एक ऐसा कारक है जो किसी व्यक्ति के फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
- रेडॉन, एक रेडियोधर्मी गैस जो चट्टानों और मिट्टी में रेडियोधर्मी धातुओं के टूटने से उत्पन्न होती है, धूम्रपान के अलावा फेफड़ों के कैंसर का एक और प्रमुख कारण है।
फेफड़ों के कैंसर के मुख्य लक्षण (Symptoms of lung cancer)
राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार, अधिकांश फेफड़ों के कैंसर चुपचाप शुरू होते हैं, जब तक वे फैलते हैं तब तक कोई लक्षण पैदा नहीं करते हैं। हालाँकि, संस्थान की वेबसाइट कुछ मामलों में प्रकट होने वाले सबसे सामान्य संकेतों का हवाला देती है:
- खाँसी
- श्लेष्मिक थूक के साथ खाँसी
- खूनी थूक के साथ खांसी
- छाती में दर्द
- कर्कशता
- भूख में कमी
- अस्पष्टीकृत वजन घटाने
- सांस फूलना
- थकान
भारत में फेफड़े के कैंसर के हर साल 70,000 मामले दर्ज होते हैं। 2025 में, ये आंकड़े पुरुषों के लिए 81,000+ और महिलाओं के लिए 30,000 तक बढ़ने का अनुमान है। इस तरह की तकनीक फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों को कम करने में बहुत मददगार हो सकती है।