प्राचीन काल से ही प्रकृति और उसके रहस्यों को समझने के लिए लोगों में काफी रुचि रही है और इसे विज्ञान ने संभव कर दिखाया है| विज्ञान ही वो रास्ता है जिससे हम प्रकृति को करीब से जान पाते हैं| उसे समझ सकते हैं उसे महसूस कर सकते हैं उसे हम सुन सकते हैं कि नेचर आखिर हम से कहना क्या चाहती है| क्योंकि प्रकृति हर वक्त तुमसे कुछ न कुछ कहती रहती है लेकिन उसकी भाषा अलग होती है जिसे हर कोई समझ नहीं पाता|

यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि विज्ञान की भाषा ही प्रकृति की भाषा है| प्राचीन काल से ही वैज्ञानिक प्रकृति की इस भाषा को समझ कर आम लोगों तक इसे सरल शब्दों में बताते आए हैं और इतिहास के इन वैज्ञानिकों ने आज के आधुनिक विज्ञान की नींव रखी है| आज हम ऐसे ही एक वैज्ञानिक के बारे में जानेंगे जिसने न केवल इंसान के सोचने समझने की क्षमता को बढ़ाया है बल्कि इसके साथ ही उन्होंने प्रकृति को देखने का नजरिया भी पूरी तरह बदल डाला|
गैलीलियो का जन्म फरवरी 1564 में इटली के पीसा नामक शहर में हुआ था| महज 17 साल की उम्र में ही गैलीलियो ने पीसा की एक यूनिवर्सिटी में डॉक्टरी की पढ़ाई शुरू की लेकिन समय बढ़ने के साथ-साथ गैलीलियो का मन डॉक्टरी की पढ़ाई से हट गया| उन्हें फिजिक्स और मैथ में ज्यादा रुचि आने लगी अपनी फिजिक्स और मैथ में बढ़ती हुई रूचि को देखते हुए उन्होंने अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी| वह खगोल भौतिकी के अध्ययन में जुट गए और उन्होंने प्रयोग करने शुरू कर दिए|
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गैलीलियो एक धार्मिक व्यक्ति थे लेकिन उस वक्त जैसे कट्टर बिल्कुल भी नहीं थे| एक्सपेरिमेंट करते और उसी एक्सपेरिमेंट के आधार पर थ्योरी लिख दे जो कि उस समय ऐसा करने वाले वे पहले वैज्ञानिक थे|
जब गैलीलियो को पता चला कि होलेंड के एक वैज्ञानिक ने एक बेहतरीन दूरबीन की खोज की है जिसकी सहायता से बहुत दूर की चीजों को बेहद आसानी से देखा जा सकता है| इसके बाद गैलीलियो ने खुद की दूरबीन बनाने का फैसला किया, बाद में उन्होंने ऐसी दूरबीन बनाई भी और फिर इस दूरबीन की सहायता से उन्होंने रात में आकाशगंगा का निरीक्षण करना शुरू कर दिया| उन्होंने लंबे समय तक ब्रह्मांड में ग्रहों और तारों का अध्ययन किया| इस दौरान उन्होंने काफी चीजों की नई नई खोज कर डाली| उन्होंने बृहस्पति ग्रह के अध्ययन के दौरान उसके चार चंद्रमा को खोजने का कार्य किया|
बृहस्पति के अलावा गैलीलियो ने अन्य ग्रहों का भी अध्ययन किया जिसमें से उन्होंने पृथ्वी के चंद्रमा के बारे में बताया कि पृथ्वी के चंद्रमा की सतह समतल नहीं है बल्कि उस पर बहुत सारे गड्ढे मौजूद हैं| इसके साथ ही उन्होंने शनि ग्रह की कलाओं और शनि ग्रह के बारे में भी बताया और इस पर काफी अध्ययन भी किया| इतना ही नहीं उन्होंने सूर्य पर पड़ने वाले काले धब्बों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां दी|
इसके बाद गैलीलियो ने प्रकाश की गति को नापने का भी प्रयास किया| बताया जाता है कि गैलीलियो और उनका एक दोस्त अलग-अलग पर्वत शिखरों पर लालटेन लेकर रात में चले गए| उसके दोस्त से यह कहा गया था कि जैसे ही गैलीलियो की लालटेन का प्रकाश दिखाई दे वैसे ही वे अपनी लालटेन का एक कपाट खोल दें ताकि गैलीलियो अपने कपाट खोलने व दोस्त की लालटेन का प्रकाश देखने के बीच का समय माफ सकें| हालांकि पहाड़ों के बीच की दूरी उन्हें पहले से मालूम थी और इस तरह से उन्होंने प्रकाश की गति को मापा| लेकिन गैलीलियो उस पर संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने अपनी इस एक्सपेरिमेंट को दोबारा करना चाहा| इस बार उन्होंने ऐसी दो पहाड़ियां ली जिनके बीच की दूरी पहले वाली पहाड़ियों से ज्यादा थी और इस बार भी पहले जैसा ही प्रयोग किया तो उन्हें बहुत हैरानी हुई क्योंकि इस बार भी रिजल्ट पहले जैसा ही आया गैलीलियो इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि, प्रकाश को चलने में लग रहा समय उनके सहायक की प्रक्रिया के समय से बहुत कम होगा और गैलीलियो प्रकाश की स्पीड को मापने में असफल हो गए|
इसके बाद उन्होंने लाइट की स्पीड मापने के लिए एक अलग एक्सपेरिमेंट किया इसके लिए उन्होंने बृहस्पति के चंद्रमाओ के बृहस्पति की छाया में आ जाने से उन पर पड़ने वाले ग्रहण का अध्ययन किया लेकिन उनकी यह कोशिश भी नाकाम हो गई|
गैलीलियो ने आज से बहुत पहले ही गणित और भौतिकी के नियमों को बखूबी समझ लिया था| उनके द्वारा की गई अहम खोजों के लिए आइंस्टाइन जैसे महान वैज्ञानिक ने उन्हें आधुनिक विज्ञान के फादर की उपाधि दे डाली| गैलीलियो जब अध्यापक थे तब वे बच्चों को यही पढ़ाया करते थे कि सौरमंडल में पृथ्वी और अन्य ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं| कैथोलिक चर्च में दबाव के कारण उन्हें माफी मांगनी पड़ी| उन्होंने बाद की जिंदगी जेल में ही गुजारी लेकिन सरकार ने बाद में उन्हें घर में नजरबंद रहने का आदेश दिया| गैलीलियो ने अपनी अंतिम सांस घर में नजरबंद रह कर ली|
हालांकि बाद में कैथोलिक पादरियों ने गैलीलियो के प्रति गलत व्यवहार के लिए माफी मांगी और उन्हें और उनके सिद्धांतों को सही बताया| लेकिन यह असलियत समझ में आने में 300 से ज्यादा सालों का समय लग गया| बताया जाता है कि 72 साल के होते होते गैलीलियो आंखों की रोशनी को पूरी तरह से खो चुके थे और ऐसा सूर्य का ज्यादा अध्ययन करने की वजह से हुआ था| आज गैलीलियो द्वारा दिए गए योगदान हमारे वैज्ञानिकों के लिए किसी उपहार से कम नहीं है| गैलीलियो पहले ऐसे व्यक्ति रहे जिनको उनके जीते जी उनकी खोजों के लिए कोई सम्मान नहीं मिला| लेकिन आज उनकी खोजें ही हमारे आधुनिक विज्ञान का आधार हैं| गैलीलियो एक धार्मिक व्यक्ति होने के बाद भी उन्होंने कभी भी धर्म के प्रति होने वाले अंधविश्वासों को पनपने नहीं दिया| उन्होंने हर कदम पर इसका विरोध किया| गैलीलियो ने गणित, भौतिकी, खगोल शास्त्र और चिकित्सा में अपना अहम योगदान दिया| इतना ही नहीं गैलीलियो दर्शन शास्त्री भी थे, इसके साथ ही साथ उन्हें ज्योतिष शास्त्र में भी खास रूचि थी| गैलीलियो के साथ उस वक्त जो भी हुआ हो लेकिन अपनी गलतियों को सुधारते हुए सभी ने गैलीलियो को उचित सम्मान दिया| अपनी महत्वपूर्ण खोजों और अविष्कारों के लिए गैलीलियो आज भी हम सबके दिलों में जिंदा हैं| आज गैलीलियो आधुनिक विज्ञान की प्रगति में वैज्ञानिकों के मसीहा के रूप में देखे जाते हैं|